Raghuveera Gadhyam pdf

~~1~~श्रीमान्वेङ्कटनाथार्य कवितार्किक केसरि । ~~2~~वेदान्ताचार्यवर्योमे सन्निधत्तां सदाहृदि ॥ ~~3~~जयत्याश्रित सन्त्रास ध्वान्त विध्वंसनोदयः । ~~4~~प्रभावान् सीतया देव्या परमव्योम भास्करः ॥ ~~5~~जय जय महावीर महाधीर धौरेय, ~~6~~देवासुर समर समय समुदित निखिल निर्जर निर्धारित निरवधिक माहात्म्य, ~~7~~दशवदन दमित दैवत परिषदभ्यर्थित दाशरथि भाव, ~~8~~दिनकर कुल कमल दिवाकर, ~~9~~दिविषदधिपति रण सहचरण चतुर दशरथ चरम ऋणविमोचन, ~~10~~कोसल सुता कुमार भाव कञ्चुकित कारणाकार, ~~11~~कौमार केलि गोपायित कौशिकाध्वर, ~~12~~रणाध्वर धुर्य भव्य दिव्यास्त्र बृन्द वन्दित, ~~13~~प्रणत जन विमत विमथन दुर्ललित दोर्ललित, ~~14~~तनुतर विशिख विताडन विघटित विशरारु शरारु ताटका ताटकेय, ~~15~~जडकिरण शकलधर जटिल नटपति मकुट तट नटनपटु विबुधसरिदतिबहुल मधुगलन ललितपद ~~16~~नलिनरज उपमृदित निजवृजिन जहदुपल तनुरुचिर परम मुनिवर युवति नुत, ~~17~~कुशिक सुत कथित विदित नव विविध कथ, ~~18~~मैथिल नगर सुलोचना लोचन चकोर चन्द्र, ~~19~~खण्डपरशु कोदण्ड प्रकाण्ड खण्डन शौण्ड भुजदण्ड, ~~20~~चण्डकर किरण मण्डल बोधित पुण्डरीक वन रुचि लुण्टाक लोचन, ~~21~~मोचित जनक हृदय शङ्कातङ्क, ~~22~~परिहृत निखिल नरपति वरण जनक दुहितृ कुचतट विहरण समुचित करतल, ~~23~~शतकोटि शतगुण कठिन परशुधर मुनिवर करधृत दुरवनमतम निज धनुराकर्षण प्रकाशित पारमेष्ठ्य, ~~24~~क्रतुहर शिखरि कन्तुक विहृत्युन्मुख जगदरुन्तुद जितहरि दन्ति दन्त दन्तुर दशवदन दमन कुशल दशशतभुज मुख नृपतिकुल रुधिर झर भरित पृथुतर तटाक तर्पित पितृक भृगुपति सुगति विहतिकर नत परुडिषु परिघ, ~~25~~अनृत भय मुषित हृदय पितृ वचन पालन प्रतिज्ञावज्ञात यौवराज्य, ~~26~~निषाद राज सौहृद सूचित सौशील्य सागर, ~~27~~भरद्वाज शासन परिगृहीत विचित्र चित्रकूट गिरि कटक तट रम्यावसथ, ~~28~~अनन्यशासनीय, ~~29~~प्रणत भरत मकुटतट सुघटित पादुकाग्र्याभिषेक, निर्वर्तित सर्वलोक योग क्षेम, ~~30~~पिशित रुचि विहित दुरित वलमथन तनय बलिभुगनुगति सरभस शयन तृण शकल परिपतन भय चकित सकल सुर मुनिवर बहुमत महास्त्र सामर्थ्य, ~~31~~द्रुहिण हर वलमथन दुरालक्ष शरलक्ष, ~~32~~दण्डका तपोवन जङ्गम पारिजात, ~~33~~विराध हरिण शार्दूल, ~~34~~विलुलित बहुफल मख कलम रजनिचर मृग मृगयारम्भ सम्भृत चीरभृदनुरोध, ~~35~~त्रिशिरः शिरस्त्रितय तिमिर निरास वासरकर, ~~36~~दूषण जलनिधि शोषण तोषित ऋषिगण घोषित विजय घोषण, ~~37~~खरतर खर तरु खण्डन चण्ड पवन, ~~38~~द्विसप्त रक्षः सहस्र नलवन विलोलन महाकलभ, ~~39~~असहाय शूर, ~~40~~अनपाय साहस, ~~41~~महित महामृथ दर्शन मुदित मैथिली दृढतर परिरम्भण विभव विरोपित विकट वीरव्रण, ~~42~~मारीच माया मृग चर्म परिकर्मित निर्भर दर्भास्तरण, ~~43~~विक्रम यशो लाभ विक्रीत जीवित गृध्रराज देह दिधक्षा लक्षित भक्तजन दाक्षिण्य, ~~44~~कल्पित विबुधभाव कबन्धाभिनन्दित, ~~45~~अवन्ध्य महिम मुनिजन भजन मुषित हृदय कलुष शबरी मोक्ष साक्षिभूत, ~~46~~प्रभञ्जनतनय भावुक भाषित रञ्जित हृदय, ~~47~~तरणिसुत शरणागति परतन्त्रीकृत स्वातन्त्र्य, ~~48~~दृढघटित कैलास कोटि विकट दुन्दुभि कङ्काल कूट दूर विक्षेप दक्ष दक्षिणेतर पादाङ्गुष्ठ दरचलन विश्वस्त सुहृदाशय, ~~49~~अतिपृथुल बहु विटपि गिरि धरणि विवर युगपदुदय विवृत चित्रपुङ्ख वैचित्र्य, ~~50~~विपुल भुज शैलमूल निबिड निपीडित रावण रणरणक जनक चतुरुदधि विहरण चतुर कपिकुलपति हृदय विशाल शिलातल दारण दारुण शिलीमुख, ~~51~~अपार पारावार परिखा परिवृत परपुर परिसृत दव दहन जवन पवनभव कपिवर परिष्वङ्ग भावित सर्वस्व दान, ~~52~~अहित सहोदर रक्षः परिग्रह विसंवादि विविध सचिव विप्रलम्भ (विस्रम्भण) समय संरम्भ समुज्जृम्भित सर्वेश्वर भाव, ~~53~~सकृत्प्रपन्न जन संरक्षण दीक्षित वीर, सत्यव्रत, ~~54~~प्रतिशयन भूमिका भूषित पयोधि पुलिन, ~~55~~प्रलय शिखि परुष विशिख शिखा शोषिताकूपार वारिपूर, ~~56~~प्रबल रिपु कलह कुतुक चटुल कपिकुल करतल तूलित हृत गिरि निकर साधित सेतुपथ सीमा सीमन्तित समुद्र, ~~57~~द्रुतगति तरुमृग वरूथिनी निरुद्ध लङ्कावरोध वेपथु लास्य लीलोपदेश देशिक धनुर्ज्याघोष, ~~58~~गगन चर कनक गिरि गरिम धर निगममय निज गरुड गरुदनिल लव गलित विष वदन शर कदन, ~~59~~अकृतचर वनचर रणकरण वैलक्ष्य कूणिताक्ष बहुविध रक्षो बलाध्यक्ष वक्षः कवाट पाटन पटिम साटोप कोपावलेप, ~~60~~कटुरटदटनि टङ्कृति चटुल कठोर कार्मुख विनिर्गत विशङ्कट विशिख विताडन विघटित मकुट विह्वल विश्रवस्तनय विश्रम समय विश्राणन विख्यात विक्रम, ~~61~~कुम्भकर्ण कुलगिरि विदलन दम्भोलि भूत निश्शङ्क कङ्कपत्र, ~~62~~अभिचरण हुतवह परिचरण विघटन सरभस परिपतदपरिमित कपिबल जलधि लहरि कलकलरव कुपित मघवजि दभिहननकृदनुज साक्षिक राक्षस द्वन्द्वयुद्ध, ~~63~~अप्रतिद्वन्द्व पौरुष, ~~64~~त्र्यम्बक समधिक घोरास्त्राडम्बर, ~~65~~सारथि हृत रथ सत्रप शात्रव सत्यापित प्रताप, ~~66~~शित शर कृत लवण दशमुख मुख दशक निपतन पुनरुदय दर गलित जनित दर तरल हरिहय नयन नलिनवन रुचि खचित खतल निपतित सुरतरु कुसुम वितति सुरभित रथ पथ, ~~67~~अखिल जगदधिक भुज बल दश लपन दशक लवन जनित कदन परवश रजनिचर युवति विलपन वचन समविषय निगम शिखर निकर मुखर मुख मुनि वर परिपणित, ~~68~~अभिगत शतमख हुतवह पितृपति निरृति वरुण पवन धनद गिरिश मुख सुरपति नुत मुदित, ~~69~~अमित मति विधि विदित कथित निज विभव जलधि पृषत लव, ~~70~~विगत भय विबुध परिबृढ विबोधित वीरशयन शायित वानर पृतनौघ, ~~71~~स्व समय विघटित सुघटित सहृदय सहधर्मचारिणीक, ~~72~~विभीषण वशंवदीकृत लङ्कैश्वर्य, ~~73~~निष्पन्न कृत्य, ~~74~~ख पुष्पित रिपु पक्ष, ~~75~~पुष्पक रभस गति गोष्पदीकृत गगनार्णव, ~~76~~प्रतिज्ञार्णव तरण कृत क्षण भरत मनोरथ संहित सिंहासनाधिरूढ, ~~77~~स्वामिन्, राघव सिंह, ~~78~~हाटक गिरि कटक सदृश पाद पीठ निकट तट परिलुठित निखिल नृपति किरीट कोटि विविध मणि गण किरण निकर नीराजित चरण राजीव, ~~79~~दिव्य भौमायोध्याधिदैवत, ~~80~~पितृ वध कुपित परशु धर मुनि विहित नृप हनन कदन पूर्व काल प्रभव शत गुण प्रतिष्ठापित धार्मिक राज वंश, ~~81~~शुभ चरित रत भरत खर्वित गर्व गन्धर्व यूथ गीत विजय गाथा शत, ~~82~~शासित मधुसुत शत्रुघ्न सेवित, ~~83~~कुश लव परिगृहीत कुल गाथा विशेष, ~~84~~विधिवश परिणमदमर भणिति कविवर रचित निज चरित निबन्धन निशमन निर्वृत, ~~85~~सर्व जन सम्मानित, ~~86~~पुनरुपस्थापित विमान वर विश्राणन प्रीणित वैश्रवण विश्रावित यशः प्रपञ्च, ~~87~~पञ्चतापन्न मुनिकुमार सञ्जीवनामृत, ~~88~~त्रेतायुग प्रवर्तित कार्तयुग वृत्तान्त, ~~89~~अविकल बहुसुवर्ण हयमख सहस्र निर्वहण निर्वर्तित निज वर्णाश्रम धर्म, ~~90~~सर्व कर्म समाराध्य, ~~91~~सनातन धर्म, ~~92~~साकेत जनपद जनि धनिक जङ्गम तदितर जन्तु जात दिव्य गति दान दर्शित नित्य निस्सीम वैभव, ~~93~~भव तपन तापित भक्तजन भद्राराम, ~~94~~श्री रामभद्र, नमस्ते पुनस्ते नमः ॥ ~~95~~चतुर्मुखेश्वरमुखैः पुत्रपौत्रादिशालिने । ~~96~~नमः सीतासमेताय रामाय गृहमेधिने ॥ ~~97~~कविकथकसिंहकथितं ~~98~~कठोरसुकुमारगुम्भगम्भीरम् । ~~99~~भवभयभेषजमेतत् ~~100~~पठत महावीरवैभवं सुधियः ॥ ~~101~~इति श्रीमहावीरवैभवम् ॥