Hanuman Chalisa pdf
##दोहा
~~2~~श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि |
~~3~~बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||
~~4~~बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार |
~~5~~बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ||
##चौपाई
~~7~~जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
~~8~~जय कपीस तिहुं लोक उजागर ||
~~9~~रामदूत अतुलित बल धामा |
~~10~~अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ||
~~11~~महाबीर बिक्रम बजरंगी |
~~12~~कुमति निवार सुमति के संगी ||
~~13~~कंचन बरन बिराज सुबेसा |
~~14~~कानन कुंडल कुंचित केसा ||
~~15~~हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै |
~~16~~कांधे मूंज जनेऊ साजै |
~~17~~संकर सुवन केसरीनंदन |
~~18~~तेज प्रताप महा जग बन्दन ||
~~19~~विद्यावान गुनी अति चातुर |
~~20~~राम काज करिबे को आतुर ||
~~21~~प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
~~22~~राम लखन सीता मन बसिया ||
~~23~~सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
~~24~~बिकट रूप धरि लंक जरावा ||
~~25~~भीम रूप धरि असुर संहारे |
~~26~~रामचंद्र के काज संवारे ||
~~27~~लाय सजीवन लखन जियाये |
~~28~~श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ||
~~29~~रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई |
~~30~~तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
~~31~~सहस बदन तुम्हरो जस गावैं |
~~32~~अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ||
~~33~~सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
~~34~~नारद सारद सहित अहीसा ||
~~35~~जम कुबेर दिगपाल जहां ते |
~~36~~कबि कोबिद कहि सके कहां ते ||
~~37~~तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
~~38~~राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
~~39~~तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना |
~~40~~लंकेस्वर भए सब जग जाना ||
~~41~~जुग सहस्र जोजन पर भानू |
~~42~~लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
~~43~~प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
~~44~~जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ||
~~45~~दुर्गम काज जगत के जेते |
~~46~~सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
~~47~~राम दुआरे तुम रखवारे |
~~48~~होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
~~49~~सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
~~50~~तुम रक्षक काहू को डर ना ||
~~51~~आपन तेज सम्हारो आपै |
~~52~~तीनों लोक हांक तें कांपै ||
~~53~~भूत पिसाच निकट नहिं आवै |
~~54~~महाबीर जब नाम सुनावै ||
~~55~~नासै रोग हरै सब पीरा |
~~56~~जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
~~57~~संकट तें हनुमान छुड़ावै |
~~58~~मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
~~59~~सब पर राम तपस्वी राजा |
~~60~~तिन के काज सकल तुम साजा |
~~61~~और मनोरथ जो कोई लावै |
~~62~~सोइ अमित जीवन फल पावै ||
~~63~~चारों जुग परताप तुम्हारा |
~~64~~है परसिद्ध जगत उजियारा ||
~~65~~साधु-संत के तुम रखवारे |
~~66~~असुर निकंदन राम दुलारे ||
~~67~~अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
~~68~~अस बर दीन जानकी माता ||
~~69~~राम रसायन तुम्हरे पासा |
~~70~~सदा रहो रघुपति के दासा ||
~~71~~तुम्हरे भजन राम को पावै |
~~72~~जनम-जनम के दुख बिसरावै ||
~~73~~अन्तकाल रघुबर पुर जाई |
~~74~~जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ||
~~75~~और देवता चित्त न धरई |
~~76~~हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
~~77~~संकट कटै मिटै सब पीरा |
~~78~~जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
~~79~~जै जै जै हनुमान गोसाईं |
~~80~~कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
~~81~~जो सत बार पाठ कर कोई |
~~82~~छूटहि बंदि महा सुख होई ||
~~83~~जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
~~84~~होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
~~85~~तुलसीदास सदा हरि चेरा |
##दोहा
~~87~~पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप |
~~88~~राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ||